Thursday, December 8, 2016

My Little Christmas Tree


I always had this love for Christmas Tree. I guess ever since I have read X for X mas Tree :) . may be its the attraction towards the toys and the lights :) ! ... well ! during our family visits to some of our family friends' houses during Christmas , I used to run to see Christmas tree first ! Always liked the beautiful, colorful decoration of the Tree, Its so magical. 
last Christmas , I was just sitting at home and remembering my childhood, I had a very busy December last year. I have so many fond memories of the month December from my childhood. I remembered that I had once learnt the Craft of Christmas Tree from TV and made the one at the school's craft class, which was highly appreciated. I thought of making the same, last year. It was easy. I already had a few supplies and few I got from the near by store. Bingo ! I had a very cute little Christmas tree ready in no Time ! I added  Santa Claus and Snowman around it and together they presented a very lovely decoration.


Sunday, July 17, 2016

The Secret World of Books


I am glad someone else think like me 



I feel good getting lost in the world of books


I know there is a whole new world inside the books 


I find an isolation and slip into a book


The I venture into that Secret Land


Nothing is impossible there 



 A beautiful land , leading to peace !



I world of my own ! 





Friday, June 12, 2015

AN ODE TO MY LOVELY SNOWDROP


                                       - BY Ritu ( The blissful Free poetic soul )
 In Indian Summer when Monsoon is almost here, its completely out of sense to think about the lovely snowdrop flowers ( European pre spring flowers ). This morning suddenly these pretty flowers gave me a call and my heart mesmerized with their innocent beauty wrote this Ode ( poem).... It’s true that poets are free souls, time and space cant bind them ).. sharing the words of my heart with you all ....



In February, cold wind
steals the warmth of sunshine
Sight of naked trees
Make the eyes sore
Veil of white snow deepens the sorrow
And cover the mighty dark green oak &  pine
Amidst the thickest snow
when the hope is so thin
you my tiny fairy
Rise above the ground to win

Emerald green and silky white
Beautiful hope in winter plight


Soft and humble 
Unnoticed u go 
Fragile, with delicate neck
in shyness u bow
Slowly when meadow 
Fills with green grass
Blossoms on trees
and daffodils on pass
And you disappear to
Unknown land
giving way to the floral band
my heart aches for you
I don't know if you miss me too
You are the first sign of life
You tell that nature is still alive
You tell me to have courage 
and keep my hope high
You tell me to keep smiling 
and its not the time to sigh
You tell me that 
spring is on the way
there would be celebration of nature 
in April and May

It’s just the waiting gap
not the time of sadness
while I know I ll get all the
Spring on my lap
But my snowdrop you will always be my
first sign of happiness


Thursday, September 4, 2014

कुछ हिन्दी काविताएं बाल भारती से


यह कदंब का पेड़



यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे
ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली
किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली
तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता
वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता
अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता
सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती
मुझे देखने काम छोड़कर तुम बाहर तक आती
तुमको आता देख बाँसुरी रख मैं चुप हो जाता
पत्तों मे छिपकर धीरे से फिर बाँसुरी बजाता
गुस्सा होकर मुझे डाटती, कहती "नीचे आजा"
पर जब मैं ना उतरता, हँसकर कहती, "मुन्ना राजा"
"नीचे उतरो मेरे भईया तुंझे मिठाई दूँगी,
नये खिलौने, माखन-मिसरी, दूध मलाई दूँगी"
बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता
माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता
तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे
ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे
तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता
और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता
तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती
जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं
इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे





सुबहा

बड़े सबेरे मुर्गा बोला,


चिड़ियों ने अपना मुह खोला,


आसमान 
मे लगा चमकने,


लाल लाल सोने का गोला,


ठंडी हवा बड़ी सुखदाई,


सब बोले दिन निकला भाई





चल रे मटके तममक टू


हुए बहुत दिन बुढ़िया  एक

चलती थी लाती को टेक

उसके पास बहुत था माल
 
जाना था उसको ससुराल


मगर राह में चीते शेर

लेते थे रही को घेर

बुढ़िया  ने सोची तरकीब

जिससे चमक उठे तकदीर


मटका एक मंगाया मोल

लम्बा लम्बा गोल मटोल

उसमे बैठी बुदिया आप

वह ससुराल चली चुपचाप


बुढ़िया  गाती जाती यू

चल रे मटके तममक टू



टोपी और चूहा 

एक गाव मे चूहा रहता,
पी पी उसका नाम,
इधर उधर वा, घूम रहा था...
चिंदी मिली तमाम,

लेकर दर्जी के घर पहुचा,
टोपी की ले आस...
हाथ जोड़ कर किया नमस्ते,
चिंदी धार दी पास,

दर्जी मामा टोपी सी दो,
करो ना हूमें निराश,
नहीं सीली तो कपड़े काटू जितने तेरे पास....

टोपी की तयार रंगीली बढिया फुडनेदार
खूश हो कर पीपी बोला मामा बड़े उदार

ढोलक मिली कही से उसको पिता बारंबार
राजा की टोपी से अच्छी टोपी फुडनेदार

पास खड़ा था एक सिपाही वा था पहरेदार
पकड़ लिया पीपी को उसने फिर दी उसको फटकार

टोपी छ्छिनी मारा पिता राजा थे नाराज
हुए कैद में पीपी भय्या बंद हुई आवाज



मुर्गी और आंडा

बच्चो सुन लो नयी कहानी

यूं हस करके बोली नानी
बहुत दिनो की बात बातायून
सच्चा सच्चा हाल सुनाऊँ

ऐक बहुत था लोभी भाई
जिसकी ज़्यादा थी ना कमाई

रूउखी सूखी रोटी खाता
दुख मैं अपना समय बीताता

पर किस्मत ने पलटा खाया
लोभी के घर मैं धन आया

उसने मुर्गी पाली ऐक 
जो थी सीधी अति ही नाईक

दो सोने के अंडे प्यारे 
देती थी वो उठ भिनसारे

लोभी जब ये अंडे पता
खुशी से वो फूला जाता

पर लोभी मन मैं ललचाया
ये विचार उसके मन आया

क्यों नेया मर मुर्गी को डालूं
सारे अंडे साथ निकालूं

हो जौऊंगा मलमल 
हटे रोज़ का येह जंजाल

लोभी फोरन चाकू लाया
मुर्गी मारी खून बहाया

अंदा उसने ऐक ना पाया
रो रो रो बहुत पछताया


Saturday, August 30, 2014

My little Green Guest


A little Poem by my pen on my little Green Guest ! A Mantis visited my balcony this beautiful morning ! What a little wonderful joy ! Its for u my little friend ! 
Date :30th August 2014



My little Green Guest

---- By Ritu K Mishra

Its breezy n cooly
N cloudy n rainy
Small things of wonder
Cant buy by money

A green guest gazing at me
Sitting at greeny lil palm tree

Twisting the neck 
n basking in the wind
Seated on a green leaf 
Enjoying the swing

Green Garden n 
O' my green guest
I leave u one with nature
To laze n rest
 — feeling joyful.




Wednesday, August 13, 2014

वो चाँद (Wo Chaand)

वो चाँद

कल रात को जब
चाँद को पहाड़ी
से सरकते देखा
तो सोचा - कोई खूबसूरत सी
कविता लिख दूं

फिसल रहा था पहाड़ी
के किनारी पे हौले से वो ऐसे
जैसे किसी मेहेके से पन्ने की
लकीरों पे कोई नर्म सी कविता के
शब्द मचलते हैं

काग़ज़ कलम लेके बैठ गए हम
कितनी ही पंक्तियाँ लिखी
और फिर कितने ही लिखे पन्ने फाड़े
कोई उतना खूबसूरत लब्ज़ ना मिला

मैने चंद को देखा
चंद ने मुझे देखा
उसकी सफेद चँदनी मैं
डूबी मैं

एक लाँबी सी सांस ली
काग़ज़ कलम बगल मैं रख दी
हाथो को सिरहाना बना के
लेते चंद को निहारते
मुस्कुरा के मैने सोचा
उसपे क्या कविता लिखूं
जो  खुद ही एक कविता है

और फिर मैं ना जाने
कितनी देर वहां लेते
ईश्वर की उस कविता को
देखती रही ,सुनती रही
महसूस करती रही

ना जाने कब तक...
By ऋतु मिश्रा
(This Hindi Urdu Poem composed on the occasion of Supermoon on August 9, 2014)



Kal raat ko jab
chaand ko pahaadi
se sarakate dekha
to socha - koi khoobsoorat si
kavita likh dun

fhisal raha tha pahaadi
ke kinari pe haule se wo aise
jaise kisi meheke se panne ki
lakeeron pe koi narm si kavita ke
shabd machalte hain

kagaz kalam leke baith gae hum
kitni hi panktiyan likhi
aur fir kitne hi likhe panne faade
koi utnaa khubsoorat shaad na mila

Maine chand ko dekha
chand ne mujhe dekha
uski safed chandani main
doobi main

ek laambi si saans li
Kaagaz kalam bagal main rakh di
haatho ko sirhana banaa ke
lete chand ko nihaarte
muskura k maine socha
uspe kyaa kavita likhun
jo  khud hi ek kavita hai

Aue fir main naa jaane
kitni der wahan lete
ishwar ki us kavita ko
Dekhti rahi sunti rahi
mahsoos karti rahi
na jane kab tak...
By Ritu K Mishra
(This Hindi Urdu Poem composed on the occasion of Supermoon on August 9, 2014)